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व्यंग्य

सीमा पर नागरिक

राजकिशोर


भारत का एक आदमी पाकिस्तान की सीमा पर गया। उसने दाएँ-बाएँ देखा। कोई न था। जैसे ही उसने सीमा पार करने के लिए कदम बढ़ाए, उसके सिर के ऊपर से होते हुए गोली निकल गई। एक मिनट में दोनों ओर से आ कर चार सिपाहियों ने उसे घेर लिया। एक ने जेब से रस्सी निकाली। दो सिपाहियों ने रस्सी उसकी कमर में बाँध दी। चौथे ने उसका एक सिरा अपने हाथ में ले लिया। पहला सिपाही गरजा - अब देखें कैसे भागते हो। नागरिक ने पूछा - लेकिन आपने गोली क्यों चलाई? कहीं लग जाती तो? दूसरा सिपाही बोला - शुक्र मनाओ कि बच गए। हमें 'देखते ही गोली मार दो' का आदेश है। नागरिक ने पूछा - और यह रस्सी? तीसरे सिपाही ने कहा - ताकि तुम भाग न सको। नागरिक - मैं भाग कहाँ रहा था? पहला सिपाही - तो और क्या कर रहे थे? नागरिक - मैं पाकिस्तान के भाई-बहनों को यह समझाने जा रहा था कि हम युद्ध नहीं चाहते।

दूसरे सिपाही - तो हुजूर, आप नेता हैं? तीसरा सिपाही - नहीं, ये भारत-पाकिस्तान मैत्री संघ के अध्यक्ष होंगे। पहला सिपाही - नहीं जी, कोई छोटा-मोटा तस्कर होगा। इसकी तलाशी ले लो, मेरी बात सही साबित न हो तो कहना। दूसरा सिपाही - यह तो बहुत मामूली आदमी लगता है। मामूली आदमी तस्कर नहीं होते। तीसरा सिपाही - जो भी हो, इसके इरादे ठीक नहीं लगते।

नागरिक - आप लोग परेशान न हों। मैं अपनी हकीकत बताता हूँ। देश भर में युद्ध का वातावरण बन रहा है। उधर की सही खबर इधर नहीं आती। इधर की सही खबर उधर नहीं जाती। तो मैंने सोचा कि जरा खुद जा कर देखूँ। जिससे भी भेंट हो जाए, उसे समझाऊँ कि भारत की आम जनता युद्ध नहीं चाहती। सिर्फ कुछ लोग हैं, जो जंग-जंग चिल्ला रहे हैं।

पहला सिपाही - तो वीसा-पासपोर्ट क्यों नहीं लिया? नागरिक - ये सब बड़े लोगों के चोंचले हैं। साधारण लोग तो वैसे ही जहाँ-तहाँ चले जाते हैं। तीसरा सिपाही - आतंकवादी तो नहीं हो? नागरिक - कोई यह स्वीकार करता है कि वह आतंकवादी है? दूसरा सिपाही - यानी आतंकवादी हो सकते हो। नागरिक - चाहता तो हूँ कि अपने देश में नागरिकों का कुछ आतंक बने। लेकिन हमारी कोई सुनता ही नहीं। दूसरा सिपाही - जेब में कितने पैसे हैं?

पाकिस्तान का एक आदमी भारत की सीमा पर आया। उसने दाएँ-बाएँ देखा। कहीं कोई न था। वह सीमा पार करने ही वाला था कि दोनों ओर से चार सिपाही आए। एक ने उसका कॉलर पकड़ा। दूसरे ने उसके हाथ मरोड़ कर पीठ की ओर कर दिए। तीसरा उसकी तलाशी लेने लगा। चौथा उसकी ओर रिवॉल्वर ताने खड़ा रहा।

पहला सिपाही - तो, हुजूर, आप किधर तशरीफ ले जा रहे थे? दूसरे सिपाही ने कहा - गनीमत हुई कि हमने तुमको देख लिया, वरना हम गोली चला देते। दूसरा सिपाही - हमें हुक्म है कि हम किसी के साथ रियासत न करें। चौथा सिपाही - जल्दी से बताओ, तुम्हारे इरादे क्या हैं? वरना मेरी उँगलियाँ बेचैन हो रही हैं। तीसरा सिपाही - जेब में कुल तीन सौ रुपए हैं और चले हैं बॉर्डर लाँघने।

नागरिक - आप लोग परेशान न हों। मैं एक सीधा-सादा इनसान हूँ। इंडिया जा रहा था, ताकि वहाँ के लोगों से बात कर सकूँ। उन्हें समझाऊँ कि पाकिस्तान का अवाम जंग नहीं चाहता। यह तो लीडरान हैं, जो तुर्की-बतुर्की बोल कर सनसनी फैला रहे हैं।

तीसरा सिपाही - तुम तो गद्दार लगते हो। लीडरान के खिलाफ आयँ-बायँ बक रहे हो। तुम्हें पता है, इसी बात पर तुम्हें अरेस्ट किया जा सकता है? दूसरा सिपाही - मामूली आदमी हो तो मामूली आदमी की तरह बरताव करो। सियासत के बारे में तुम्हें क्या मालूम? चौथा सिपाही - ऐसे ही लोग तो हिन्दुओं का मन बढ़ा रहे हैं।

नागरिक - यह आप लोगों की गलतफहमी है। इंडिया में मुसलमानों की तादाद हमसे कम नहीं है। मैं उनसे मिल कर समझना चाहता हूँ कि इंडिया-पाकिस्तान उलझाव के बारे में वे क्या सोचते हैं। गैर-मुसलमानों से भी बातचीत करने की तबीयत है। दूसरे, पाकिस्तान में अब जमहूरियत है। यहाँ के लोग अपनी किस्मत का फैसला खुद कर सकते हैं।

चारों सिपाही हँसी से लोटपोट हो गए। दूसरा सिपाही - जमहूरियत! तुम्हारे बाप ने भी कभी जमहूरियत देखी है? पहला सिपाही - यहाँ दो ही ताकतें हैं। अल्लाह की ताकत और फौज की ताकत। पहले अमेरिका की भी ताकत थी, पर अब हम उन पर यकीन नहीं करते। वे हमें भाड़े का टट्टू मानते हैं।

नागरिक - तो क्या पाकिस्तान में इनसानी ताकत की कोई वकत नहीं है?

चारों सिपाही फिर हँसने लगे। तीसरा सिपाही - तो क्या तुम समझते हो कि इंडिया में इनसानी ताकत मायने रखती है?

दूसरा सिपाही - इनसान हो तो यहाँ क्या करने आए हो? घर में रहो, बीवी-बच्चों का खयाल रखो। खुदा का खौफ खाओ। मुल्क को हम लोगों पर छोड़ दो।

नागरिक - अब तक यही तो कर रहा था। अब लगता है, इससे काम नहीं चलेगा। इसीलिए तो हिंदुस्तान जा रहा था।

पहला सिपाही - तो आप अमन के फरिश्ते हैं। जाइए, घर जाइए। अपने दोस्त-अहबाब को बताइए कि मुल्क जनता से नहीं, फौज से चलते हैं। जिस दिन फौज का साया हट गया, धरती से पाकिस्तान का नक्शा ही मिट जाएगा।


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